एक डोर में सबको बांधती,वो हिंदी है, लेखनी कविता प्रतियोगिता# आधे-अधूरे मिसरे-25-Jul-2023
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ले चल वहां भुलावा देकर, मेरे मालिक धीरे-धीरे।
ले चल वहां भुलावा देकर, मेरे मालिक धीरे-धीरे।
हैं यह राह पत्थरीली तो, चल नदिया के तीरे-तीरे।।
सबने मुझको जब दुत्कारा, एक दिखे बस आप सहारा।
भूल हुई जो कभी हमारी, दिया गर्त से सदा किनारा।।
तेरे दर से कोई खाली, नहीं गया है मालिक मेरे।
सुन पुकार मेरी आए हो, लेने मुझको आज सवेरे।।
ले चल वहां भुलावा देकर, मेरे मालिक धीरे-धीरे।
जहाँ दुखी कोई न कभी हो, चल नदिया के तीरे-तीरे।।
कविता झा'काव्य'अविका
#लेखनी
# आधे अधूरे मिसरे लेखनी प्रतियोगिता
Shashank मणि Yadava 'सनम'
10-Sep-2023 08:30 PM
Nice
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